DECEMBER 9, 2022
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Jasbeer Singh

(Chief Editor)

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बढ़ रही गर्मी से बचाव के लिए नुक्ते किए जारी

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बढ़ रही गर्मी से बचाव के लिए नुक्ते किए जारी  

पटियाला, 23 मई : उत्तरी भारत के कई सूबों साथ साथ पंजाब के अलग-अलग जिलों में गर्मी का प्रभाव दिखाई दे रहा है। गर्म हवाएं या कह लो लू की लहरें लोगों को परेशान कर रही है। ऐसे में लोगों का बीमार होना आम बात है। गर्मी कारण लगभग हर इलाके में उल्टीयां, दस्त, डीहाईड्रेशन जैसी आम समस्याएं हो रही हैं। माहिरों का तो यहां तक कहना है कि गर्मी कारण व्यक्ति स्ट्रोक औरकोमा में जा सकता है। यदि समय सिर प्रबंध न किए गए तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है। सिवल सर्जन डा. रमिन्दर कौर ने कहा कि तापमान ज़्यादा होने के कारण कई लोगों को आम सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हीट स्ट्रोक के इलावा तेज गर्मी में डीहाईड्रेशन, हीट क्रैप, हीट सिंकोप, चक्कर आना, कम बीपी की समस्या आम है। ऐसी स्थिति भी पैदा हो सकती है कि व्यक्ति कोमा में जा सकता है। प्रभावित व्यक्ति को छाया में लाने के तत्काल उपाय और शरीर के तापमान को घटाने के प्रयत्न जरूरी हैं। गर्मियों में पीने वाले साफ़ पानी की उपलब्धता कम होने के कारण उल्टी, दस्त जैसी समस्याएं भी आम हैं। फूड पुआइज़निंग, गंदा पानी पीने से टाईफ़ाईड, हैपेटाईटस, पीलिया जैसी बीमारियां भी हो सकतीं हैं। उन्होंने बताया कि दिन में करीब दो घंटे बहुत तेज धूप पड़ती है। इसलिए गर्मी की बीमारियों से बचने के लिए इन घंटों के दौरान दोपहर 1-3 बजे तक सीधी धूप में बाहर निकलने से परहेज करें।  

  जि़ला ऐपीडीमोलोजिस्ट डा सुमित सिंह ने कहा कि एक दिन में ढाई से तीन लीटर पानी समेत तरल पदार्थों का सेवन करें। स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बाज़ारों में जूस की बजाय ताजे साबित फलों का प्रयोग करो जिससे उल्टी, दस्त, अपाचक, डीहाईड्रेशन की समस्याओं से बचाव रखा जा सके। शरीर में ज़रुरी इलैकट्रोलाईटस संतुलन को पूरा करने के लिए नींबू पानी, नारियल पानी और लस्सी एक बढिय़ा विकल्प हो सकते हैं। तरबूज में फलों की अपेक्षा पानी की मात्रा ज़्यादा होती है। उन्होंने अनुसार गर्मी कारण शरीर की अंदरूनी समस्याओं के साथ-साथ बाहरी तौर पर चमड़ी के साथ सम्बन्धित बीमारियां भी पैदा होती हैं। शराब, कोफी, चाय और कारबोनेटिड साफ्ट ड्रींक से परहेज किया जाए जो शरीर को डीहाईड्रेट करते हैं। उच्च प्रोटीन और बासी भोजन खाने से भी परहेज़ किया जाए। चमड़ी पर लाल ददोरा, घमौरी के ददोरा और इन्फैक्शन का भी ख़तरा रहता है। इस से सुरक्षा के लिए शरीर पर गहरे रंग के कपड़े न पहनें।  

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