DECEMBER 9, 2022
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Jasbeer Singh

(Chief Editor)

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देश का आम बजट 2023

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देश का आम बजट एक फरवरी 2023 (Budget 2023) को पेश किया जाएगा. निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) के तौर पर संसद में लगातार अपना पांचवां बजट भाषण पढ़ेंगी. इस बीच बता दें नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में बजट में कई चेंज किए गए हैं. इनमें तारीख से लेकर बजट दस्तावेज के लिए प्रयोग होने वाले लाल रंग के ब्रीफकेस तक में बदलाव शामिल हैं. सरकार के लिए खास है बजट-2023 भारत की पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman फरवरी की पहली तारीख को संसद में Budget 2023 पेश करने वाली हैं. वे सुबह 11 बजे देश के आय और व्यय का लेखा-जोखा जनता के सामने रखेंगी. अगले साल आम चुनाव से पहले मोदी 2.0 सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा. ये बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जबकि जब वैश्विक आर्थिक गतिविधि व्यापक रूप से स्लोडाउन का सामना कर रही है. पहला बदलाव: आम बजट की तारीख साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार (Narendra Modi Govt) आने से पहले तक बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था. मोदी सरकार ने इस परंपरा को तोड़ा और बदलाव के बाद Budget फरवरी के अंत के बजाय 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा. दूसरा बदलाव: रेल बजट का विलय नरेंद्र मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट (Rail Budget) की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया. दरअसल, पहले रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश करने का ऐलान किया और 2017 से ये एक साथ पेश किया जाने लगा. तीसरा बदलाव: लाल ब्रीफकेस की परंपरा बजट इतिहास से जुड़ी परंपराओं में बदलाव पपर गौर करें तो मोदी सरकार में 1947 से देश का आम बजट संसद में पेश होने के लिए एक लाल रंग के ब्रीफकेस (Red Briefcase) का इस्तेमाल होता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया और उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा. यहीं नहीं पिछले बजट लाल टैबलेट (Red Tablate) में लाए गए थे. वाजपेयी सरकार में बदला था समय नरेंद्र मोदी सरकार से पहले भाजापा की अगुवाई वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदल दिया था. 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया था. तब से बजट लोकसभा में इसी समय पेश हो रहा है. Budget 2023: आगामी बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी नहीं डालेगी सरकार, बैंकों का लाभ 50 फीसदी बढ़ा Budget 2023: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आगामी बजट में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी नहीं डालेगी. सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात नियामकीय जरूरत से अधिक हो चुका है और इस समय यह 14 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत के बीच है. Union Budget 2023 Expectations: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश होने में केवल 10 दिन बाकी रह गए हैं. बजट को लेकर सभी सेक्टर्स की उम्मीदें हैं और उनकी मांगें भी वित्त मंत्री के पास पहुंच रही हैं. देश के अलग-अलग सेक्टर्स से लेकर आम जनता, गृहिणियां, स्टूडेंट्स, कारोबारी, संस्थाओं सभी की बजट विशलिस्ट लगातार सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर की बजट से क्या उम्मीदें हैं- ये आप यहां जान सकते हैं. ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री की क्या हैं मांगें ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री ने मजबूत, अधिक टिकाऊ और बेहतर टूरिज्म उद्योग बनाने के लिए आवश्यक संरचनात्मक परिवर्तन को बढ़ाने के लिए आगामी बजट में सरकार से सहायता मांगी है. मेकमायट्रिप के सह-संस्थापक और समूह सीईओ राजेश मागो ने कहा कि भारतीय ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री ने काफी अच्छा प्रदर्शन दिखाया है, घरेलू अवकाश यात्रा पूर्व-महामारी के स्तरों से अच्छी तरह से उबर चुकी है, हालांकि लंबी दूरी की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा अभी भी पीछे है. इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार से समर्थन की आवश्यकता है कि यह देश में अग्रणी नियोक्ताओं में से एक बना रहे. उन्होंने कहा- डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के सपने के साथ, सभी यात्रियों को जमीनी स्तर पर डिजिटल भारत को अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन बुकिंग के बीच की असमानता को दूर किया जाना चाहिए. वर्तमान में, ग्राहक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से गैर-एसी बस बुक करते समय 5 फीसदी जीएसटी शुल्क का भुगतान करता है. अपंजीकृत होटलों और होमस्टे की ऑनलाइन बुकिंग के मामले में भी यही अंतर है. राजेश मागो ने कहा- सेक्टर के लिए इंफ्रास्ट्रक्च र का दर्जा इस सेक्टर की लंबे समय से चली आ रही मांग है. यात्रा और टूरिज्म क्षेत्र के इस बहुप्रतीक्षित अनुरोध को स्वीकार करने से संस्थागत ऋण तक आसान पहुंच में मदद मिलेगी; अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत के टूरिज्म क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा और इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए एक दीर्घकालिक मार्ग तैयार करेगा. Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल्द ही 2023-24 के लिए आम बजट पेश करेंगी. ये उनके द्वारा पेश किया जाने वाला लगातार पांचवां बजट होगा साथ ही मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट भी है. बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री ने कहा कि देश का मध्यम वर्ग जो दबाव महसूस कर रहा है उसका उन्हें पूरा एहसास है. हालांकि उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने मिडिल क्लास पर कोई नए टैक्स का भार भी उनके ऊपर नहीं डाला है. पर सवाल उठता है कि वित्त मंत्री के इस दावे में कितना दम है? कॉरपोरेट्स के लिए घटा टैक्स पर मिडिल क्लास को राहत नहीं! भले ही मोदी सरकार ने डायरेक्ट टैक्स नहीं बढ़ाया हो. लेकिन जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूले जाने वाले अप्रत्यक्ष टैक्स ने हर घर के ऊपर महंगाई के बोझ को बढ़ाने का काम किया है. 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान बजट पेश करने के दो महीने बाद ही 20 सितंबर 2019 को केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया था. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया है तो नई घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया. सरकार के इस कदम के चलते पार्लियामेंट कमिटी ऑन एस्टीमेट्स के मुताबिक 2019-20 में केंद्र सरकार को 86,835 करोड़ रुपये और 2022-21 में 96,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. यानि दो वर्षों में 1.84 लाख करोड़ रुपये सरकार को नुकसान हुआ था. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया लेकिन इनकम टैक्स देने वाले मिडिल क्लास को किसी प्रकार की राहत नहीं दी. . होम बिजनेस बजट 2023 Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को है मिडिल क्लास के दर्द का एहसास! क्या इस बजट में मिलेगी राहत? Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को है मिडिल क्लास के दर्द का एहसास! क्या इस बजट में मिलेगी राहत? Budget India 2023: मिडिल क्लास पर महंगाई का बोझ बढ़ता ही रहा है. कभी खाद्य महंगाई, तो कभी ईंधन की महंगाई तो कभी महंगी ईएमआई के रूप में. जीएसटी के दरों में बढ़ोतरी से भी उनकी जेब कटी है. Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को है मिडिल क्लास के दर्द का एहसास! क्या इस बजट में मिलेगी राहत? Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल्द ही 2023-24 के लिए आम बजट पेश करेंगी. ये उनके द्वारा पेश किया जाने वाला लगातार पांचवां बजट होगा साथ ही मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट भी है. बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री ने कहा कि देश का मध्यम वर्ग जो दबाव महसूस कर रहा है उसका उन्हें पूरा एहसास है. हालांकि उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने मिडिल क्लास पर कोई नए टैक्स का भार भी उनके ऊपर नहीं डाला है. पर सवाल उठता है कि वित्त मंत्री के इस दावे में कितना दम है? कॉरपोरेट्स के लिए घटा टैक्स पर मिडिल क्लास को राहत नहीं! भले ही मोदी सरकार ने डायरेक्ट टैक्स नहीं बढ़ाया हो. लेकिन जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूले जाने वाले अप्रत्यक्ष टैक्स ने हर घर के ऊपर महंगाई के बोझ को बढ़ाने का काम किया है. 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान बजट पेश करने के दो महीने बाद ही 20 सितंबर 2019 को केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया था. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया है तो नई घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया. सरकार के इस कदम के चलते पार्लियामेंट कमिटी ऑन एस्टीमेट्स के मुताबिक 2019-20 में केंद्र सरकार को 86,835 करोड़ रुपये और 2022-21 में 96,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. यानि दो वर्षों में 1.84 लाख करोड़ रुपये सरकार को नुकसान हुआ था. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया लेकिन इनकम टैक्स देने वाले मिडिल क्लास को किसी प्रकार की राहत नहीं दी. मिडिल क्लास पर महंगे जीएसटी की मार! 2022 में आम आदमी पहले से ही महंगाई से परेशान था. 28 - 29 जून 2022 को जीएसटी काउंसिल की बैठक में आम आदमी के इस्तेमाल वाली कई चीजों पर जीएसटी रेट बढ़ा दिया गया तो कई सामानों मिल रहे जीएसटी छूट को खत्म कर दिया गया. डिब्बा या पैकेट बंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया गया. पहले इन वस्तुओं को जीएसटी से छूट मिली हुई थी. टेट्रा पैक और बैंक की तरफ से चेक जारी करने की सेवा पर 18 फीसदी जीएसटी के साथ एटलस समेत नक्शे तथा चार्ट पर 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया. बाहर घूमने जाना भी महंगा हो जाएगा. पहले 1,000 रुपये से कम के किराये वाले कमरे पर जीएसटी नहीं लगता था. लेकिन 18 जुलाई, 2022 से 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल कमरों पर 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया. अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये आईसीयू को छोड़कर 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया गया. 2022 में ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई से जुड़ी चीजें अब महंगी हो गई. जीएसटी काउंसिल ने प्रिंटिंग-ड्राइंग इंक, पेंसिल शार्पनर, एलईडी लैंप, ड्राइंग और मार्किंग करने वाले प्रोडक्ट्स, पर भी जीएसटी रेट बढ़ा दिया. इन वस्तुओं पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है. 2022 में महंगाई ने मार डाला वित्त मंत्री ने एक फरवरी 2022 को जब बजट पेश किया था उसके कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया. उसके बाद कच्चे तेल, गैस समेत सभी कमोडिटी के दामों में भारी इजाफा देखा गया. कच्चे तेल के दामों में उछाल से पेट्रोल डीजल महंगा हुआ तो गैस के दामों में उछाल से सीएनजी पीएनजी महंगा होता चला गया. खाने के तेल के दाम से लेकर गेंहू के दाम आसमान छूने लगे. कमोडिटी के दामों में उछाल से कंपनियों की लागत बढ़ गई. जिसका भार कंपनियों ने ग्राहकों को ऊपर डाल दिया. एफएमसीजी से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स के दामों में इजाफा कर दिया. इस महंगाई ने मिडिल क्लास के बजट को बिगाड़ दिया. महंगाई के चलते EMI भी महंगी! रूस के यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद महंगाई में तेज उछाल आई. मई 2022 से आरबीआई ने महंगाई पर नकेल कसने के लिए सस्ते कर्ज के दौर को खत्म करते हुए अपने पॉलिसी रेट्स को बढ़ाना शुरू किया. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी रही और उसके बाद लंबे समय तक खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के ऊपर बनी हुई थी. जिसके बाद आरबीआई ने पांच मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकों में हर बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की. जो रेपो रेट अप्रैल 2022 तक 4 फीसदी हुआ करता था वो अब 6.25 फीसदी हो चुका है यानि 2.25 फीसदी महंगा. आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों से लेकर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों ने कर्ज महंगा कर दिया. जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया था उनकी ईएमआई बहुत महंगी हो गई और जो लोग लोन लेने की सोच रहे थे उनके लिए कर्ज लेना महंगा हो गया. महंगे रसोई गैस, ईंधन ने बिगाड़ा बजट! कोरोना के पहले लहर के दौरान जब लॉकडाउन लगा जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी कमी के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 13 रुपये तो डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दिया. तब सरकार पेट्रोल पर 32.9 रुपये और डीजल पर 31.8 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूल रही थी. 4 नवंबर 2021 को क्रूड ऑयल के दामों में भारी उछाल के बाद सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी को घटाया. इसके बाद रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जब सरकारी तेल कंपनियों के दामों में इजाफा करने के बाद पेट्रोल डीजल महंगा हो गया तब सरकार ने मई 2022 में पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये लीटर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों के 120 डॉलर से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने के बाद भी तेल कंपनियों आम लोगों को राहत नहीं दे रही हैं. उसपर से रसोई गैस भी महंगा हुआ है. 2022 में 150 रुपये प्रति सिलेंडर रसोई गैस के दाम बढ़े हैं और अब 1053 रुपये एक एलपीजी सिलेंडर दिल्ली में मिल रहा है. सीएनजी और पीएनजी के दामों में भी भारी उछाल आया है. मंदी के डर ने बढ़ाई चिंता! रूस यूक्रेन युद्ध के चलते डिमांड-सप्लाई गैप के कारण महंगाई में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. महंगाई पर नकेल कसने के लिए अमेरिका यूरोप के सेंट्रल बैंकों ने कर्ज महंगा किया है. इसके चलते इन देशों में आंशिक मंदी आने की आशंका गहरा गई है. कंपनियां खर्च घटाने के लिए जबरदस्त छंटनी करने में लगी है जिसमें ग्लोबल आईटी कंपनियां भी शामिल है. भारत सर्विसेज का बड़ा एक्सपोर्टर है. इन विकसित देशें में आने वाले आर्थिक संकट का असर भारत पर भी पड़ सकता है. ऐसे में वैश्विक मंदी की किसी भी संभावना से निपटने के लिए मोदी सरकार को वैसी ही तैयारी करनी होगी जैसा 2008 में ग्लोबल फाइनैंशियल क्राइसिस के मंदी से निपटने के लिए किया गया गया था. मिडिल क्लास को क्या मिलेगी राहत वित्त मंत्री जब कह रही हैं कि उन्हें मिडिल क्लास के तकलीफों का एहसास है तो सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार अपने आखिरी पूर्ण बजट में मिडिल क्लास को राहत देती है? क्या टैक्स का बोझ कम होगा? क्या महंगाई से राहत मिलेगी? हालांकि मिडिल क्लास के दर्द का वित्त मंत्री को कितना एहसास है इसका पता तो एक फरवरी 2023 को ही लगेगा.

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