July 6, 2024 01:02:54
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Jasbeer Singh

(Chief Editor)

Patiala News

Lok Sabha Election: परनीत के भाजपा में जाने से बदले समीकरण, इस सीट पर 17 में से 11 बार जीती कांग्रेस

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कांग्रेस का गढ़ रहे पटियाला में परनीत के भाजपा में जाने से कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। 1952 से पटियाला लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 11 बार कांग्रेस अपनी जीत का परचम फहरा चुकी है।पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण पंजाब की राजनीति की धुरी रहा पटियाला अब तक कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन अब कैप्टन की पत्नी व सांसद परनीत कौर के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। प्रबल संभावना है कि उन्हें भाजपा की तरफ से पटियाला से मैदान में उतारा जाएगा। इससे पटियाला सीट से इस बार चुनावी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। इसका चुनाव के नतीजों पर कितना असर पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस को इस बार मोती महल से अलगाव के बाद पटियाला से अपना किला बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पहले तो कांग्रेस के लिए पटियाला से एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश ही बड़ा काम रहेगा। इसके बाद कांग्रेस के लिए जीत की राह भी पहले की तरह आसान नहीं रह सकती है, क्योंकि कैप्टन का परिवार पटियाला सीट का प्रतिनिधितत्व 1998 से कर रहा है। ऐसे में शाही परिवार पटियाला के लोगों में खासा प्रभाव रखता है। परनीत के सहारे भाजपा जहां पटियाला में पहली बार जीत दर्ज कराके कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाना चाहेगा। भाजपा 2024 में 400 पार के मिशन में है और इसके लिए पार्टी हर राज्य में अच्छे नतीजे प्राप्त करने के प्रयास कर रही है। वहीं कांग्रेस भी अपने गढ़ को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। उधर, सत्ताधारी आप भी पटियाला में जीत का परचम फहराने की पूरी कोशिश में रहेगा। पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस ने परनीत को तीन फरवरी 2023 को निलंबित कर दिया था। हालांकि, लोकसभा की सदस्यता न जाए, इस वजह से परनीत कौर ने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया था। दरअसल, कैप्टन के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद से ही परनीत ने भी पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। यहां तक कि परनीत ने विधानसभा चुनाव में भी प्रचार नहीं किया था। यहां तक कि वह पंजाब में निकाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल नहीं हुई थीं। सीट का इतिहास: 17 में से 11 बार कांग्रेस की जीत 1952 से पटियाला लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 11 बार कांग्रेस अपनी जीत का परचम फहरा चुकी है। कांग्रेस के अचिंत यहां के पहले सांसद थे। वहीं शाही परिवार से पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर इस सीट से चार बार सांसद रह चुकी हैं। सबसे पहले वह 1999 में पटियाला से लोकसभा चुनाव जीती थीं और इसके बाद 2004, 2009 और फिर 2019 में फिर से चुनी गईं। पटियाला लोकसभा हलके में नौ विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं। यहां के कुल वोटरों की संख्या तकरीबन 1739600 है, जिनमें से 824919 पुरुष व 914607 महिला वोटर बताए जाते हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस हलके से वोट प्रतिशत 67.71 प्रतिशत रही थी। 2019 के चुनावों में परनीत ने अकाली दल के सुरजीत सिंह रखड़ा को 162718 वोटों के अंतर से हराया था। कांग्रेस में उम्मीदवार की तलाश सबसे खास चार बार की सांसद 79 साल की परनीत कौर लोगों में लोकप्रिय नेत्री होने के साथ-साथ सामाजिक तौर पर भी काफी सरगर्म रहती हैं। वह पटियाला हलके के लोगों के हर दुख-सुख में शामिल रहती हैं। पिछले कुछ समय से मां परनीत के साथ बेटी जयइंदर कौर भी पूरी सक्रियता के साथ हलके के लोगों में जा रही हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए परनीत के कद का उम्मीदवार तलाशना एक चुनौती भरा काम रहेगा। कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि एक ऐसा मजबूत उम्मीदवार हो, जो परनीत को कड़ी टक्कर दे सके। दावेदारों की सूची में सबसे आगे राहुल गांधी के करीबी पूर्व कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिंगला का नाम चल रहा है। राजपुरा के पूर्व विधायक हरदियाल सिंह कंबोज और पूर्व मंत्री लाल सिंह के नाम भी सामने आ रहे हैं। आप ने डाॅ. बलबीर सिंह पर खेला है दांव सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने मौजूदा सेहत मंत्री डाॅ. बलबीर सिंह पर दांव खेला है, जो वर्तमान में पटियाला देहाती हलके से विधायक हैं। इस समय लोकसभा सीट के अधीन पड़ते सभी विधानसभा हलकों में आप के विधायक हैं। ऐसे में उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि पटियाला सीट से जीत दर्ज करके कांग्रेस की बरसों से चली आ रही सत्ता को खत्म किया जा सके। किसान आंदोलन का रहेगा बड़ा असर: प्रो. टिवाणा पंजाबी यूनिवर्सिटी से राजनीतिक मामलों के माहिर प्रो. बलविंदर सिंह टिवाणा का कहना है कि परनीत कौर के भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ने से पटियाला सीट से चुनावी समीकरण जरूर बदलेंगे, लेकिन इस तथ्य को भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि खास तौर से पटियाला के चुनाव पर इस बार किसान आंदोलन का बड़ा असर पड़ेगा। क्योंकि पटियाला में ही इस आंदोलन की अब तक की ज्यादातर गतिविधियां चली हैं। हालांकि, परनीत कौर पटियाला के लोगों में खासा प्रभाव रखती हैं, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह भी जानते हैं कि अकेले भाजपा के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी, इसलिए कैप्टन की ओर से लगातार पंजाब में भाजपा व अकाली दल के गठबंधन पर जोर दिया जा रहा है।

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